कोविड-19 वैक्सीन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया है।
**"कल भारतीय सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक आधिकारिक निष्कर्ष जारी किया, जिसके अनुसार देशभर में बढ़ते हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामलों का कोविड-19 वैक्सीन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया है। इस घोषणा का आम जनमानस पर कोई विशेष सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि यह स्थिति पहले से ही स्पष्ट हो चुकी है कि सरकार इन टीकों को प्रभावी और सुरक्षित मानती है, जबकि विपक्ष प्रारंभ से ही इन्हें हानिकारक ठहराने का प्रयास करता रहा है। दोनों पक्षों के बीच यह वैचारिक संघर्ष टीकाकरण के आरंभ काल से ही चला आ रहा है और आज भी यथावत बना हुआ है।
कोविड काल में मुझे स्वयं इस विषय का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ है। मेरे परिवार के लगभग 30–40 सदस्यों में से केवल मैं और मेरी पत्नी ही ऐसे थे जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ। यह संभवतः इस कारण था कि हमने सबसे पहले टीका लगवाया था। इस अनुभव के आधार पर मेरे मन में यह विश्वास दृढ़ हुआ कि कोरोना का टीका प्रभावी और अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
हालांकि, एक व्यक्तिगत अनुभव ऐसा भी रहा जिसने मुझे थोड़ी शंका में डाल दिया। वर्ष 1997 के बाद मुझे हृदय संबंधी कोई गंभीर समस्या नहीं हुई थी, परंतु कोविड का टीका लगवाने के कुछ समय पश्चात मुझे दोबारा हृदय संबंधी समस्या हुई, जिसके लिए मुझे दिल्ली जाकर उपचार कराना पड़ा। इससे मुझे यह संदेह हुआ कि शायद इस स्थिति में टीके का कोई अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है।
फिर भी यदि समग्र दृष्टिकोण से देखा जाए, तो मेरी यह धारणा है कि कोविड-19 टीकों के माध्यम से जितने लोगों की जानें बचाई गईं, उसकी तुलना में यदि कुछ हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ी भी हों तो उनका महत्व तुलनात्मक रूप से कम है।
इसलिए यह स्वीकार करना उचित होगा कि भले ही कोविड टीका पूर्णतः निर्दोष न हो, किंतु इस विषय में सरकार का रुख विपक्ष की अपेक्षा अधिक जिम्मेदार, संतुलित और ईमानदार प्रतीत होता है।"**
Comments