ऐसे समाज विज्ञानियों की चर्चा का ही यह आधार है कि हम एक नए सामाजिक राजनीतिक ढांचा आपको दे पा रहे हैं। इ

हम लोगों का पूरा का पूरा ग्रुप वर्तमान समस्याओं की चर्चा तक सीमित नहीं है हम इन चर्चाओं का कुछ समाधान भी बताना चाहते हैं और उस समाधान को हम आगे बढ़ाने की शुरुआत भी कर रहे हैं। हमारी पूरी की पूरी समाज व्यवस्था दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर केंद्रित रहती है पहली है व्यक्ति की असीम स्वतंत्रता निष्कंटक रहनी चाहिए और दूसरी है कि व्यक्ति की सह जीवन की अनिवार्यता मजबूत और सुविधाजनक होनी चाहिए। असीम स्वतंत्रता और सह जीवन दोनों एक दूसरे के विपरीत दिखते हुए भी दोनों का एक साथ जुड़ना अनिवार्य है और इस जोड़ को ही हम समाजशास्त्र कहते हैं। यह समाजशास्त्र वर्तमान में अपना प्रभाव खो रहा है इसलिए अब एक नए समाजशास्त्र पर चर्चा हो रही है जिसे कुछ समाज विज्ञानी बैठकर समाज के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे समाज विज्ञानियों की चर्चा का ही यह आधार है कि हम एक नए सामाजिक राजनीतिक ढांचा आपको दे पा रहे हैं। इस नई सामाजिक व्यवस्था में दो केंद्र होंगे पहले व्यक्ति की असीम स्वतंत्रता की गारंटी यह केंद्र सरकार देगी और व्यक्ति के सहजीवन की मजबूरी का क्रियान्वयन संघ सरकार करेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में कोई बाधा पैदा होती है तो उस बाधा को दूर करना केंद्र सरकार का दायित्व है। दूसरी ओर व्यक्ति समाज के साथ जुड़कर रहने के लिए मजबूर हो जाए और इस मजबूरी में आने वाली कठिनाइयों को दूर किया जाए व्यक्ति समाज के साथ सुविधा पूर्वक जी सके रह सके इस प्रकार के आपसी संबंधों की सुरक्षा संघ सभा का कार्य होगा। संघ सभा अपराध नियंत्रण का कार्य नहीं करेगी और केंद्र सरकार व्यक्ति के सामाजिक जीवन में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगी। इन दोनों व्यवस्थाओं को अलग-अलग किस तरह किया जाएगा यह पृथक्करण ही हम लोगों की सारी योजना में शामिल है। हम केंद्र सरकार और संघ सरकार को बिल्कुल अलग-अलग कर रहे हैं संघ सरकार सामाजिक जीवन प्रणाली पर निरंतर सक्रिय रहेगी और केंद्र सरकार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा तक सीमित होगी। केंद्र सरकार सुरक्षा करके रूप में टैक्स लगा सकती है लेकिन संघ सरकार तब तक कोई टैक्स नहीं लगाएगी जब तक सबकी सहमति नहीं बनती है। दोनों ही व्यवस्थाएं केंद्रीय व्यवस्था और संघ की व्यवस्था यह दोनों एक साथ मिलकर एक संविधान बनाएंगे जो संविधान दोनों पर समान रूप से लागू होंगे इस तरह हम लोगों ने एक नई समाज व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव किया है और इस प्रस्ताव पर हम आपके सुझाव भी जानना चाहेंगे।