बड़ी संख्या में आपको ऐसे लोग मिलेंगे जो इस बात को महत्वपूर्ण मानते हैं की सब की भाषा एक होनी चाहिए भोजन प्रक्रिया रहन-सहन कपड़े सब एक समान होने चाहिए।
3 अगस्त प्रातः कालीन सत्र। वर्तमान दुनिया में एक बहस बढी हुई है की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है या एकरूपता। भारत में भी दिन रात 24 घंटे यह बहस चलती रहती है। बड़ी संख्या में आपको ऐसे लोग मिलेंगे जो इस बात को महत्वपूर्ण मानते हैं की सब की भाषा एक होनी चाहिए भोजन प्रक्रिया रहन-सहन कपड़े सब एक समान होने चाहिए। यह बात सही भी दिखती है कि एकरूपता हमारे जीवन में सहज और सुविधा के लिए अच्छी है होना चाहिए। एक दूसरा प्रश्न उठता है कि एकरूपता आपसी सहमति से हो सकती है या किसी नियम कानून के आधार पर क्योंकि यदि इस संबंध में कोई नियम कानून बनाया जाएगा तो निश्चित थी व्यक्ति की स्वतंत्रता में हमें कटौती करनी पड़ेगी। क्या यह उचित होगा कि हम स्वतंत्रता को रोक कर उस पर एकरूपता का बंधन लगा दे। मेरे विचार से यह तो बिल्कुल ही उचित नही है। स्वतंत्रता के बाद ही हमने यह भूल की कि हमने एकरूपता के प्रयत्न शुरू कर दिए। संविधान में भी स्वतंत्रता की जगह समानता को महत्व दे दिया और संविधान बनने के बाद भी हमने समानता और एकरूपता की लगातार कोशिश की जो आज तक जारी है। लेकिन जब दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति एक रूप हो ही नहीं सकते सबकी योग्यताएं क्षमताएं अलग-अलग होती हैं तब किन्हीं भी दो व्यक्तियों को एक रूप ना बनाया जा सकता है ना बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अच्छा तो यही होगा कि लोग आपसी सहमति से एक रूप बनने की कोशिश करें और हमारी सरकार सबको अलग-अलग जीवन जीने की छूट दे। सरकार किसी भी प्रकार से भारत की एक भाषा एक कपड़े एक रहन-सहन एक भोजन इसमें हस्तक्षेप ना करें। प्रश्न उठता है की फिर एकरूपता का क्या होगा। मेरे विचार से आप जिस मामले में एक रूप होना चाहते हैं उसका प्रयत्न परिवार से हो गांव से हो सरकार से नहीं। कोई गांव सब की सहमति से एकरूपता के नियम बना सकता है कोई संगठन अपने सदस्यों को एकरूपता के लिए बाध्य कर सकता है कोई स्कूल अपने छात्रों के लिए एकरूपता के कानून बना सकता है लेकिन आप पूरे देश भर के स्कूलों के लिए एकरूपता का नियम नहीं बना सकते प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी भाषा बोल सकता है सरकार अपनी अलग भाषा बना सकती है सरकार अपने लोगों के लिए नियम बना सकती है लेकिन देशभर के लिए नियम नहीं बन सकती हमें एकरूपता का नशा नुकसान पहुंचाएगा। इसीलिए हम लोगों ने असीम स्वतंत्रता और सा जीवन की बाध्यता इन दोनों का तालमेल को बहुत ज्यादा महत्व दिया है हमारे लिए यह उचित होगा कि हम स्वतंत्रता और सहजीवन के आपसी तालमेल के महत्व को समझें।
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