हमारी हिंदू संस्कृति में अनेक अच्छाइयां हैं। इन्ही अच्छाइयों के कारण हम हर प्रकार के टकराव से बचते हैं।
हमारी हिंदू संस्कृति में अनेक अच्छाइयां हैं। इन्ही अच्छाइयों के कारण हम हर प्रकार के टकराव से बचते हैं। इन्ही अच्छाइयों के कारण लाखों वर्षों से हम जीवित भी हैं। दुनिया में हमारी एकमात्र संस्कृति है जो संख्या विस्तार को कोई महत्व नहीं देती। हम किसी भी दूसरे संप्रदाय के व्यक्ति को अपने साथ जोड़ने पर विश्वास नहीं करते। संख्या बल की छीना झपटी ही टकराव का कारण बनती है और हिंदू संस्कृति नुकसान सहकर भी ऐसे टकराव से दूर रहती है। लेकिन हमारी इस शराफत का इस्लाम ने बहुत खुला दुरुपयोग किया। मुसलमान ने छल बल का उपयोग करके अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश की और उन्हें सफलता भी मिली। भारत विभाजन इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है जहां मुसलमान ने सारी सीमाएं तोड़कर भारत का विभाजन करने में सफलता प्राप्त की। स्वतंत्रता के बाद फिर मुसलमान ने इस राह पर चलना शुरू कर दिया। फिर मुसलमान बंगाल में उसी भाषा और उस तिकड़म पर चलना शुरू कर दिया है जो विभाजन के पहले उन लोगों ने शुरुआत की थी लेकिन वर्तमान भारत में मुसलमान इस बात को भूल रहा है कि अब हिंदू संस्कृति में कुछ बदलाव आया है। अब हिंदू संस्कृति का एक भाग शाकाहारी न रहकर मांसाहारी भी हो रहा है और उसकी अब ईंट पत्थर सब पचाने की ताकत पैदा हो रही है। यदि भारत का मुसलमान फिर से स्वतंत्रता के पहले के मार्ग पर चला तो हो सकता है कि उसके अस्तित्व पर खतरा आ जाए। इसलिए मेरी भारत के मुसलमान को सलाह है कि स्वतंत्रता के पहले की स्थिति और अब वर्तमान में नई परिस्थिति का वे तुलनात्मक अध्ययन करें। अब भारत विभाजन का स्वप्न देखना उनके लिए घातक सिद्ध होगा।
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